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स्वाद अपनी मेहनत की कमाई से सिंकी रोटी में ह

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हातिम और एक लकड़हारा

स्वाद अपनी मेहनत की कमाई से सिंकी रोटी में है,

हातिम अरब के एक कबीले का सरदार था।
वह बहुत बड़ा दानी था।
परोपकार की भावना उसमें कूट-कूट कर भरी हुई थी।
एक शाम कुछ लोग हातिम के पास बैठे थे।
उनमें से एक ने पूछा,'हातिम साहब,
क्या आपने कभी अपने से बड़े आदमी को देखा है?'
हातिम बोला, 'हां,
मैंने अपने आप से बहुत बड़ा एक इंसान देखा है।
जो बहुत ही साहसी, परिश्रमी और ईमानदार था।' '
लोग ने पूछा वह कौन था
मेहरबानी करके हमें बताइए कि वह कौन था
और कहां था?
आप से वह किस तरह से बड़ा था?'
सभी ने उत्सुकतापूर्वक एक साथ जानना चाहा।
हातिम ने बात आगे बढ़ाई, '
एकदिन अरब के कुछ मालदारों के लिए मैंने बड़ी दावत रखी।
वैसे उस दावत में कोई भी शामिल हो सकता था।
मैंने कभी किसी को मना किया ही नहीं।' '
सारा इंतजाम करने के बाद
मैं किसी काम से जंगल की ओर निकल गया।
जंगल में मुझे सूखी लकड़ियों का गट्ठर
सिर पर उठाए एक लकड़हारा आता मिला।
मुझे उस पर बहुत तरस आया।
उसका शरीर भी लकड़ियों की तरह सूखा हुआ था।'
मैंने अपना परिचय दिए बिनाही उससे कहा,
'भाई लकड़हारे,बेकार में ही लकड़ियों का बोझ
अपने सिर पर उठाए, क्यों मारे-मारे फिर रहे हो?
इससे अच्छा था कि हातिमके यहां चले जाते
और उसके द्वारा दी जा रही दावत में माल उड़ाते।'
लकड़हारे ने बड़ी सहजता से उत्तर दिया -
सुनिए साहब,
जो स्वाद अपनी मेहनत की कमाई से सिंकी रोटी में है,
वह हातिम के अहसान की आंच से सिंकी रोटी में नहीं।'
लकड़हारे की बात सुनकर मैं हतप्रभ रह गया।
मुझे लगा कि यह बहुत बड़ा इंसान है
और मैं उसके सामने बहुत ही बौना हूं।

तो मित्रों (My Dear Friend)
Life k pichhe bhago
Lanch k piche nahi
यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है|
जब कोई परेशानी आती है तो इंसान घबराकर हार मान लेता है
लेकिन हमें बिना डरे प्रयास करते रहना चाहिए
यही इस कहानी की शिक्षा  है
और मैं आशा करता हूँ
मेरा इस कहानी को लिखना जरूर सार्थक होगा
Insha ALLAH

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